

रेशम दयाल / दीन दयाल
Kisaan Bill 2020
नई दिल्ली , 21 सितंबर। रविवार को कृषि बिल पर को लेकर राज्य सभा में विपक्ष के जोरदार हंगामे से सोमवार को सभापति एम् वेंकैया नायडू बेहद नाराज दिखाई दिए। उन्होंने कहाकि रविवार को सदन में जो हुआ पुरे देश ने देखा है। इस पर सोमवार को बड़ी कार्यवाही करते हुए कल की घटना में शामिल 8 सांसदों को एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया है। विपक्ष का कल उपसभापति हरिवंश के मना करने के बाद भी विरोध का तरीका गलत था। सभापति ने कहाकि वह यह सोचकर परेशान है कि यदि समय पर सदन में मार्शल नहीं बुलाए गए होते तो क्या होता। आज सदन कार्यवाही के दौरान विपक्ष के उपसभापति हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया उन्होंने कहाकि प्रस्ताव उचित प्रारूप में नहीं था। उधर सदन से निलंबित किए गए सांसदों ने महात्मा गाँधी की मूर्ति के समक्ष धरना दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसान बिल पर विपक्ष की आवाज दबाना चाहते है। उन्होंने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है।
सदन में सोमवार को वेंकैया नायडू ने कहाकि कल दिन राज्यसभा के लिए बहुत ही बुरा दिन था , जब कुछ सांसद वेल में आ गए। इतना ही नहीं उपसभापति के साथ धक्का -मुक्की की गई। उन्हें काम करने से रोका गया यह बेहद निंदनीय है। उन्होंने सांसदों को सुझाव दिया कि वह अपना आत्मनिरिक्षण करे। श्री नायडू टीएमसी के सांसद डेरेक ओब्रायन से बेहद नाराज दिखे। उन्होंने कहाकि मैं डेरेक ओब्रायन का नाम लेता हूँ कि वह सदन से बाहर चले जाए। इसके आलावा आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह , कांग्रेस से राजीव सातव , केके रागेश , रिपुन बोरा , डोला सेन , सैयद हुसैन और एलामरम करीम को सदन से बाहर जाने के लिए कहा इस सभा को 7 दिन के लिए निलंबित किया गया। गौरतलब है कि देशभर में सांसदों के इस तरह के हंगामे से संसद की गरिमा गिरी है।
सभापति की कार्यवाही के खिलाफ निलंबित सांसदों ने महात्मा गाँधी की मूर्ति के समक्ष धरना दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसान बिल पर विपक्ष की आवाज दबाना चाहती है। उन्होंने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। इतना तो कहा जा सकता है कि किसान बिल बेशक दोनों सदनों से पारित हो गया है मगर इस पर अब विपक्ष की लड़ाई सडको पर तेज होगी। इसका कांग्रेस की तरफ से संकेत दे दिया गया है इसको लेकर आज कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पार्टी के भीतर चर्चा की है। कांग्रेस विपक्ष के साथ मोर्चा बनाकर मोदी सरकार को लम्बे समय तक किसानों के मामले में घेरना चाहते है। क्योकि इसका लाभ विपक्ष बिहार चुनाव में लेना चाहता है। क्योकि किसान बिल की पहली परीक्षा बिहार से ही शुरू होनी है।