Kisan Bill 2020
नई दिल्ली , 21 सितंबर। रविवार को राज्य सभा में दोनों किसान बिल पास कराने के बाद जहाँ सरकार ने राहत की साँस ली है वही विपक्ष ने सदन में किसानो के मामले में मुँह की खाने के बाद सड़क पर किसानो की लड़ाई को तेज करने की मुहीम में जुट गया है। सरकार की तरफ से रविवार को सदन में विपक्ष के हंगामे को निंदनीय बताया है तो विपक्ष इसे विपक्ष और जनता के साथ लोकतंत्र को कुचने की बात कह कर और मुखर हो गया है। ऐसा लगता है कि अब मोदी सरकार सामने बड़ी चुनौती होगी कि सड़क पर विपक्ष के हमले का कैसे मुकाबला करे। इतना तो तय है यदि सरकार किसानो को भरोसे में नहीं ले पाई तो इसका सीधा असर बिहार चुनाव में दिख सकता है और एनडीए यहाँ सरकार है नीतीश उसके मुख्यमंत्री है। वही पीएम नरेंद्र मोदी किसान बिल का पास होना ऐतिहासिक बताया है तो विपक्ष ने इसे किसानो के अहित में बताया और कहाकि रविवार को दिन लोकतंत्र का काला दिन है
सरकार को किसानो को समझाना इतना भी आसान नहीं होगा क्योकि अलग -अलग राज्यों में भिन्न -भिन्न पार्टियों की सरकार है। इस बिल पर सबसे ज्यादा किसानो का विरोध पंजाब और हरियाणा में हो रहा है उसके साथ ही महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में भी इस बिल का विरोध हो रहा है। जबकि पंजाब और महराष्ट्र में भाजपा विरोधी सरकार है तो बाकि दोनों जगह भाजपा की सरकार है मगर सरकार आसानी से किसानो का भरोसा जित पाएगी कहना मुश्किल है।
रविवार को विपक्ष के भारी हंगामे के बाद रक्षा मंत्री सहित कई मंत्री सामने आए और उन्होंने विपक्ष के हंगामे को निंदापूर्ण बताया है। उन्होंने कहाकि किसान बिल का पास होना किसानो के हित में है किसानो की इस बिल से रक्षा की जा सकेंगे। सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि विपक्ष किसानो को गुमराह कर रहा है। बहरहाल संसद की लड़ाई में शिकश्त खाने के बाद अब विपक्ष सड़क पर किसानो की लड़ाई को ले जाने की लंबी कसरत में जुट गया है। कांग्रेस अध्यक्षा ने पार्टी के महसचिवो के साथ वर्चुल मीटिंग की रणनीति बनाई है तो बाकि विपक्ष इस मुद्दे पर एक जुट होकर सरकार को घेरना चाह रहे है। उधर बिल पास होने बाद पंजाब और हरियाणा के किसान सड़को पर उतरे और हाईवे जाम कर दिया।